Wednesday, October 28, 2015

अकेली लड़की


वह लड़की अकेली थी

वह युवा थी
उसकी आँखें धारदार थीं 
वह बहस कर रही थी
उसके स्वर सधे थे
वह सफर कर रही थी 
वह अकेली शहर जा रही थी
परिवार से दूर राजधानी 
कई कई सवालों के उत्तर दे रही थी
संविधान की धाराओं से
सरकार को घेर रही थी
वह दिल्ली जा रही थी

उसका लिवास सादा था
लेकिन उसके सपनों का रंग था
वह लड़ नहीं रही थी 
वह घबरा नहीं रही थी 
इत्मिनान से समझा रही थी

वह बच्चों के साथ खेल रही थी
वह बूढ़ों की मदद कर रही थी
उन्हें स्मार्ट फोन की 
बारीकियाँ समझा रही थी 
वह राँची से दिल्ली जा रही थी ।

                               -आशुतोष

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