वह लड़की अकेली थी
वह युवा थी
उसकी आँखें धारदार थीं
वह बहस कर रही थी
उसके स्वर सधे थे
वह सफर कर रही थी
वह अकेली शहर जा रही थी
परिवार से दूर राजधानी
कई कई सवालों के उत्तर दे रही थी
संविधान की धाराओं से
सरकार को घेर रही थी
वह दिल्ली जा रही थी
उसका लिवास सादा था
लेकिन उसके सपनों का रंग था
वह लड़ नहीं रही थी
वह घबरा नहीं रही थी
इत्मिनान से समझा रही थी
वह बच्चों के साथ खेल रही थी
वह बूढ़ों की मदद कर रही थी
उन्हें स्मार्ट फोन की
बारीकियाँ समझा रही थी
वह राँची से दिल्ली जा रही थी ।
-आशुतोष
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